बच्चो के बीच बढ़ती हिँसक प्रव्रत्ति

आप लोग सोच रहे होंगे की मैंने  ऐसा विषय क्यों चूना । असल में हाल-फिलहाल  ही में हुई आसपास  के कुछ घटनाओ  ने मुझे सोचने  पर मजबूर कर दिया । हाल ही की घटना है की चेन्नई में एक क्लास ९ के बच्चे  ने स्कूल के अन्दर ही चाकू से अपने अध्यापिकाजी  का काम तमाम कर दिया और आगरा में एक लड़के ने प्रेम प्रसंग के चलते अपने सहपाठी को गोलिओ से छलनी कर दिया । मैं भी अपने आसपास जहा भी अपनी नज़र दौड़ाता हूँ ,बच्चो के बीच यही हिन्सात्मक भावना नज़र आती है। ज़रा सी बात मैँ बच्चे लढ़ाई पे उतारु हो जाते है, कहते है-"बस बाहर मिलो तूम, देख लेँगे तुम्हे"। ऐसे में हमें समझ लेना चाहिए कि वोह बच्चा पागल  हैं और उस समय उससे लड़ने जाने के बजाय हमें अपने माता-पिता या फिर गुरुजनों को यह बातें बता देनी चाहिए । मुझे   समझ नहीं आता  कि इनमे सय्यम  नाम कि चीज़ आखिर है भी कि नहीं । अभी तक तो यह घटनाये अमेरिका तथा यूरोपे में ही होती थी, पर लगता है अब भारत भी काफी "तरक्की " कर रहा  है ।
हमारे समाज में आधुनिकरण के चलते t .v . में सीरियल और फिल्मो में दिखाए जाने वाली हिंसा और अशीलता इस हिंसात्मक प्रवृत्ति के ज़िम्मेदार है। व्यस्ततापूर्ण जीवन के कारण  माँ-बाप भी अपने बच्चो पे उचित ध्यान नहीं दे पाते । इसलिये  इस उम्र में ज़रुरी है कि बच्चे अपने माता पिता के साथ  बातें शेयर करे ताकि ऐसि स्थिति पैदा न हो।

लड़ाई से किसी को आजतक कुछ नही मिला है। प्यार बांटो, हिँसा नही।
------------------------------
हिमांशु (क्लास ११) 

Comments

Popular posts from this blog

याद आयेन्गे आप !

Prayas ke liye chand alfaaz