Prayas ke liye chand alfaaz


उम्मीदों को लगा के पंख मैं  ,
कुछ सपने साकार करने चला ।
होसलों की उड़ान केवल मात्र से मैं ,
शब्दों को हकीकत में बदलने चला ।।

मासूम चेहरे , आशा भरी निगाहों को ,
कभी कुछ पावन मन से मेरे मैं ज्ञान की ज्योति देने चला ।
निराशावादी विचारो को सकारात्मक सोच देकर अपनी मैं ,
मानव-मूल्यों का नव-निर्माण करने चला ।।

अथाह ,अनन्त है ये पहल भी,
शब्द संचित कर भी वर्णित नही कर कर सकता मैं जिसे ।
ज्ञान ,अनुभव और नैतिकता को खुद में सयोंजित कर ये ,
शिक्षा की गरिमा को गौरवान्वित करने चला ।।

हर्षित, पुलकित, गदगद हूँ मैं यहाँ ,
की सौभाग्य से दो पग तेरे साथ मैं  भी चला ।
कुछ साथी मुझे भी मिले इस पथ पर ,
गुस्ताख थोडा सा हूँ मैं यहाँ जो तुझे वर्णित करने चला ।।
                                                                      मनीष कानव

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