Koshish
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कोशिश
प्रेरणा लेकर तुमसे आज मैंने
कविता रचने का साहस जुटाया है
कला के समुंदर का ज्ञान नहीं है मुझे कोई
तमन्ना गोता लगाने की दिल में थी मगर,इसलिए
चान्दिनी सितारों से चुराकर
रोशिनी बिखेरने की मैंने कोशिश की है ||
किरण सूरज की रोज जैसे, जिस सरलता से
निशा के अँधेरे को मिटाती है
कशिश उतनी ही अपने अन्दर भरकर
अचल सी इस डगर पर चल पड़ा हूँ मै
नैना मेरे प्रज्वलित हो उठे है क्यूंकि
ज्योति कला की इनमे भरने की मैंने कोशिश की है ||
अवनी पर अब तक चल रहा था मै
कल्पना के पंख आज लगे है मुझे
सीमा अपनी उड़ान की तब तक पता नही होती
अलीशा जब तक उड़ान भरी नहीं जाती
ख़ुशी की आज मेरे अंत नही है कोई
अभिलाषा अपनी उड़ान की पूरी करने की मैंने कोशिश की है ||
रूचि थी मुझे कुछ करने की
रेखा अपनी सीमाओं की लांघने की
नमिता होके जैसे धरती
रश्मि को गले लगाती है
नम्रता उतनी ही अपने अन्दर जगाने की
मजुषा सी मैंने कोशिश की है ||
संगीता हर कोई बन नही सकता
लक्ष्मी का रूप हर कोई धर नहीं सकता
तनुश्री फूलों सी पाने की
अनन्या दुनिया में बनने की
तनु सी मैंने कोशिश की है ||
प्रेरणा लेकर तुमसे आज मैंने
कविता रचने का साहस जुटाया है
कला के समुंदर का ज्ञान नहीं है मुझे कोई
तमन्ना गोता लगाने की दिल में थी मगर,इसलिए
चान्दिनी सितारों से चुराकर
रोशिनी बिखेरने की मैंने कोशिश की है ||
किरण सूरज की रोज जैसे, जिस सरलता से
निशा के अँधेरे को मिटाती है
कशिश उतनी ही अपने अन्दर भरकर
अचल सी इस डगर पर चल पड़ा हूँ मै
नैना मेरे प्रज्वलित हो उठे है क्यूंकि
ज्योति कला की इनमे भरने की मैंने कोशिश की है ||
अवनी पर अब तक चल रहा था मै
कल्पना के पंख आज लगे है मुझे
सीमा अपनी उड़ान की तब तक पता नही होती
अलीशा जब तक उड़ान भरी नहीं जाती
ख़ुशी की आज मेरे अंत नही है कोई
अभिलाषा अपनी उड़ान की पूरी करने की मैंने कोशिश की है ||
रूचि थी मुझे कुछ करने की
रेखा अपनी सीमाओं की लांघने की
नमिता होके जैसे धरती
रश्मि को गले लगाती है
नम्रता उतनी ही अपने अन्दर जगाने की
मजुषा सी मैंने कोशिश की है ||
संगीता हर कोई बन नही सकता
लक्ष्मी का रूप हर कोई धर नहीं सकता
तनुश्री फूलों सी पाने की
अनन्या दुनिया में बनने की
तनु सी मैंने कोशिश की है ||
----Snehit Kumbhare
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